सभी की नजरें Reasi Aatankwadi hamla पर क्यों ?
रविवार को, जब नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने की शपथ लेने जा रहे थे, जम्मू-कश्मीर के Reasi में एक भयानक आतंकवादी हमला हुआ। इस हमले में आतंकियों ने कटरा जा रही एक बस को निशाना बनाया। बस के ड्राइवर और कंडक्टर पर गोलियां चलाने के बाद, बस 50 फीट गहरी खाई में गिर गई, जिसमें 11 लोग मारे गए। इनमें एक दो साल का बच्चा भी शामिल था। इस घटना ने पूरे देश को गम और गुस्से में भर दिया है।
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Reasi Aatankwadi hamla घटना का विवरण
आतंकी बस के सामने आकर गोलियां चलाने लगे। ड्राइवर के घायल होते ही बस का नियंत्रण खो गया और वह खाई में जा गिरी। बस में सवार लोग श्रद्धालु थे जो कटरा में मां वैष्णो देवी के दर्शन के लिए जा रहे थे। आतंकियों ने जानबूझकर इस बस को निशाना बनाया ताकि हिंदू श्रद्धालुओं में दहशत फैलाई जा सके।
Reasi Aatankwadi hamla यह कोई साधारण हमला नहीं था, बल्कि एक सोची-समझी साजिश थी जिसे इस बात का ध्यान रखते हुए अंजाम दिया गया कि अधिक से अधिक निर्दोष लोगों की जान ली जा सके। बस में सवार यात्री धार्मिक यात्रा पर जा रहे थे और उनका कश्मीर के मुद्दे से कोई लेना-देना नहीं था। इस घटना पर Times Now Bharat जैसे चैनल ने भी रिपोर्ट बनाई है
राष्ट्रीय क्रोध
इस हमले ने पूरे देश को झंझोर कर रख दिया है। लोग पूछ रहे हैं कि कैसे कोई इतना निर्दयी हो सकता है कि निर्दोष लोगों पर हमला कर दे। कश्मीर में आतंकवादी हमले कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन धार्मिक यात्रियों पर हमला करना बेहद निंदा करने वाली घटना है। Reasi Aatankwadi hamla यह घटना हमें याद दिलाती है कि आतंकवाद की जड़ें कितनी गहरी हैं और इसे उखाड़ फेंकने के लिए हमें कितनी मेहनत करनी होगी।
इस हमले के बाद लोगों में गुस्सा और शोक दोनों ही देखने को मिला। सोशल मीडिया पर लोगों ने अपनी नाराजगी और दुख जाहिर किया। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों ये हमले हो रहे हैं और इन्हें रोकने के लिए क्या किया जा रहा है।
मौन और पाखंड
इस घटना के बाद, कई प्रसिद्ध व्यक्ति और स्वघोषित मानवाधिकार कार्यकर्ता जो विदेशों में हो रहे अन्याय पर आवाज उठाते हैं, इस हमले पर चुप्पी साधे हुए हैं। यह मौन और पाखंड समाज को और भी अधिक पीड़ा पहुंचा रहा है। जब बात अपने देश में निर्दोष लोगों की हत्या की होती है, तो ये लोग खामोश क्यों हो जाते हैं?
Reasi Aatankwadi hamla पर सभी कार्यकर्ता शांत क्यों है ? यह एक गंभीर सवाल है जो हमें हमारे समाज की नैतिकता और सहानुभूति पर सोचने पर मजबूर करता है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हमें सभी की जरूरत है, न कि केवल कुछ लोगों की। यह सभी की जिम्मेदारी है और हमें इसे समझना होगा।
अतीत का संदर्भ
यह पहला मौका नहीं है जब तीर्थयात्रियों पर हमला हुआ है। 2000, 2001, 2002 और 2017 में अमरनाथ यात्रा पर हमले इसके काले अध्याय हैं। इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि आतंकवादियों का मकसद शांति भंग करना और सामाजिक तनाव को बढ़ाना है।
2000 में पवित्र अमरनाथ यात्रा पर हमला हुआ जिसमें 30 लोग मारे गए थे। इसके बाद 2001 में शेषनाग में और 2002 में नवान बेस कैंप पर हमले हुए। 2017 में अनंतनाग में हुए हमले में 8 श्रद्धालुओं की जान गई। ये सभी घटनाएं बताती हैं कि आतंकवादी किस हद तक जा सकते हैं।
संपूर्ण कहानी
कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं का उपयोग राजनीतिक एजेंडों को आगे बढ़ाने के लिए किया जाता है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से कश्मीर में हालात में सुधार हुआ है, लेकिन आतंकवादी हमले इस प्रगति को प्रभावित करते हैं।
2023 में कश्मीर में 1 करोड़ 60 लाख पर्यटक आए, जो कि देश की आजादी के बाद का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इससे स्पष्ट होता है कि कश्मीर में सामान्य स्थिति लौट रही है। लेकिन इसके बावजूद आतंकवादी हमले हमें याद दिलाते हैं कि अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है।
निष्कर्ष
Reasi Aatankwadi hamla केवल एक आतंकी घटना नहीं है; यह शांति की नाजुकता और कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ जारी संघर्ष की क्रूर याद दिलाता है। देश इस हमले के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग कर रहा है और उन लोगों की चुप्पी पर सवाल उठा रहा है जो ऐसे कृत्यों की निंदा करने में विफल रहते हैं।
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई केवल सरकारी कर्तव्य नहीं है; यह एक सामूहिक जिम्मेदारी है। Reasi के पीड़ितों को न्याय की जरूरत है और तथाकथित बुद्धिजीवियों और उदारवादियों की चुप्पी को चुनौती दी जानी चाहिए। अब समय आ गया है कि हम आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर खड़े हों, बिना किसी चयनात्मक आक्रोश या पाखंड के।
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